Wednesday, May 15, 2019

तुम सी

कभी बेपनाह बरस पडे
कभी गुम सी हैं
यह बारिश भी
कुछ-कुछ तुम सी हैं

या वरून

कभी बेपनाह बरस पडे
कभी गुम सी हैं
यह बारिश भी
कुछ-कुछ तुम सी हैं

कितनी भी मिन्नते करो
दस्तक फिर भी देती नही
बिन बुलाये आती कभी
यह यादें भी कुछ तुम सी हैं

कभी पलकें भारी कर दे
और कभी मिटने न दे
यह जो नींद हैं
यह भी कुछ तुम सी हैं

कभी भीड में तन्हा रक्खें
तनहाईमें मेला कभी
यह जो आशिकी हैं
यह भी कुछ तुम सी  हैं

सबसे ज्यादा जरुरत हो जब
मिलने कभी आते नहीं
कभी बेवजह ही टपक पडे
यह अश्क भी कुछ तुम से हैं

दिनो तक मिलना न हो
मानो की रमदान हैं
मिलते ही मिठी इफ्तारी
यह ईद भी कुछ तुम सी हैं

--  © मनिष मोहिले