तू वह लम्हा है मेरा, जिसमें सारी सदीयाँ कैद हैं मेरी
यावरून सुचलेल्या काही ओळी --
तू वह इबादत हैं मेरी, जिसमें सारी खुदाई समायी हैं मेरी
तू वह नाजूक सुंदरसी हैं कली, जिसमे सारी बहारे खिलती हैं मेरी
तू गझल सुरीली वह मेरी, जिसमे दास्ताँ ए जिंदगी हैं मेरी
तू पलकोंपर सम्हाला वह आँसू, जिसमें सारी खुशियाँ झूमती हैं मेरी
तू वह साँस हैं मेरी, जिसमे सारी जिंदगी पलती हैं मेरी
------ © मनिष मोहिले
यावरून सुचलेल्या काही ओळी --
तू वह इबादत हैं मेरी, जिसमें सारी खुदाई समायी हैं मेरी
तू वह नाजूक सुंदरसी हैं कली, जिसमे सारी बहारे खिलती हैं मेरी
तू गझल सुरीली वह मेरी, जिसमे दास्ताँ ए जिंदगी हैं मेरी
तू पलकोंपर सम्हाला वह आँसू, जिसमें सारी खुशियाँ झूमती हैं मेरी
तू वह साँस हैं मेरी, जिसमे सारी जिंदगी पलती हैं मेरी
------ © मनिष मोहिले
No comments:
Post a Comment