आषाढ
चैत्री फुलला बहावा
देइ मेघांस सांगावा
सरे वैशाखवणवा
आणे आषाढ गारवा
आणे आषाढ गारवा
मनी झिरपे ताजवा
मृद्-गंधाचा गोडवा
मना मनात रुजावा
मना मनात रुजावा
कोंब आशेचा हिरवा
कवी मनाच्या हृदयी
शब्दफुलोरा फुलावा
शब्दफुलोरा फुलावा
भक्तीभाव प्रकटावा
मुखी विठ्ठल बोलावा
मनी विठो विराजावा
मनी विठो विराजावा
कानी विठ्ठल गुंजावा
जागा नको दुजाभावा
जगी विठ्ठल दिसावा
जगी विठ्ठल दिसावा
डोळी आषाढ वर्षावा
मुक्त आनंद मिळावा
असा आषाढ सजावा
------ © मनिष मोहिले
चैत्री फुलला बहावा
देइ मेघांस सांगावा
सरे वैशाखवणवा
आणे आषाढ गारवा
आणे आषाढ गारवा
मनी झिरपे ताजवा
मृद्-गंधाचा गोडवा
मना मनात रुजावा
मना मनात रुजावा
कोंब आशेचा हिरवा
कवी मनाच्या हृदयी
शब्दफुलोरा फुलावा
शब्दफुलोरा फुलावा
भक्तीभाव प्रकटावा
मुखी विठ्ठल बोलावा
मनी विठो विराजावा
मनी विठो विराजावा
कानी विठ्ठल गुंजावा
जागा नको दुजाभावा
जगी विठ्ठल दिसावा
जगी विठ्ठल दिसावा
डोळी आषाढ वर्षावा
मुक्त आनंद मिळावा
असा आषाढ सजावा
------ © मनिष मोहिले
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